पटना।कैबिनेट की बैठक में बिहार राज्य फ़िल्म प्रोत्साहन नीति पर मुहर लगा दी गई।कैबिनेट की बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री सह कला,संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि इस बहुप्रतीक्षित फिल्म नीति के आने से राज्य में फ़िल्म सहित दृश्य-श्रव्य माध्यम के मनोरंजन उद्योग को खासी गति मिलेगी। उन्होंने माना कि फिल्म कला और उद्योग होने के साथ वैश्विक स्तर पर भारत के लिए ‘सॉफ्ट पावर’ उपकरण के रूप में काम करती हैं।इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फिल्म सहित मनोरंजन से जुड़े उद्यमों को बढ़ावा देने के बड़े पक्षधर रहे हैं।उसी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश में राज्य की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को अपनी विशिष्टता के साथ देश और दुनिया के सामने ले जाने के हिमायती रहे हैं। इन दोनों की सोच का प्रतिबिंब लोग इस फिल्म नीति में देख सकते हैं ।
श्री सिन्हा ने आगे कहा कि बिहार प्राकृतिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों से सम्पन्न राज्य है। इसलिए लिहाजा नीतिगत समर्थन के जरिये राज्य के इन धरोहरों को शूटिंग गंतव्य के रूप में विकसित किया जा सकता है।इससे पर्यटन सहित अन्य उद्योगों पर अनुकूल असर तो होगा ही साथ ही प्रदेश की सकारात्मक छवि से देश और दुनिया के लोग परिचित हो सकेंगे।
उनका कहना है कि बिहार फ़िल्म प्रोत्साहन नीति देश की सबसे अद्यतन फ़िल्म नीतियों में से एक होगी। साथ ही देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक अनुदान भी मुहैया कराने जा रहे हैं। साथ ही 4 करोड़ रुपए तक का अनुदान फिल्मकारों को उपलब्ध कराएंगे, जबकि देश के अन्य किसी भी राज्य में अधिकतम अनुदान की राशि 2.5 करोड़ रुपए है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों के लिए हम लागत के 50 प्रतिशत तक की राशि का अनुदान उपलब्ध कराएंगे। साथ ही इस नीति में टीवी धारावाहिकों और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए बनने वाली फिल्मों के लिए भी 1 करोड़ और 3 करोड़ रुपए तक की राशि अनुदानित करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि राज्य की कहानी,पटकथा पर बनने वाली फिल्मों और राज्य के कलाकारों को फ़िल्म में काम देने पर भी हम विशेष अनुदान देने जा रहे हैं।उसी प्रकार फिल्मकार राज्य में 75 प्रतिशत से अधिक शूटिंग दिवस वाली फिल्मों के लिए विशेष अनुदान और प्रोत्साहन का लाभ ले पाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार फिल्म निर्माण से जुड़े सभी हितधारकों को ध्यान में रखते हुए राज्य में फिल्म के औद्योगिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पक्षों का सकारात्मक लाभ उठाने की मंशा से इसे लाने जा रही है । इसी बात को ध्यान में रखते हुए फिल्म सुविधा प्रकोष्ठ में फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों की भागीदारी भी सुनिश्चित की है ।
श्री सिन्हा ने कहा कि फिल्म प्रोत्साहन नीति का लक्ष्य अधिक से अधिक संख्या में मनोरंजन जगत के लोगों को बिहार में फ़िल्म निर्माण के लिए आकर्षित करना है।इसके लिए ‘एकल खिड़की सुविधा’ के माध्यम से उन्हें वांछित सुविधाएं मुहैया कराएंगे।इस नीति का उद्देश्य राज्य की अलग-अलग भाषाओं में फिल्म निर्माण को बढ़ावा देना भी है।साथ ही राज्य की प्रतिभाओं को भी विशेष प्रोत्साहन देंगे।देशभर के नामचीन फ़िल्म संस्थानों में पढ़ रहे युवाओं को वित्तीय सहायता देने के अलावा राज्य में फ़िल्म निर्माण से जुड़ी पढ़ाई और ट्रेनिंग को भी बढ़ावा दिया जाएगा ।
उन्होंने बताया कि बिहार से जुड़े कई लेखक, निर्देशक, कलाकार और टेक्नीशियन फिल्म जगत में हमारा मान बढ़ा रहे हैं।इस नीति के माध्यम से उनकी प्रतिभा और हुनर का लाभ राज्य को मिल पाएगा। साथ ही इस नीति के द्वारा सरकार फिल्म निर्माण से जुड़ी वित्तीय,ढांचागत और प्रक्रियागत अड़चनों को दूर करते हुए राज्य को फिल्म निर्माण का एक आकर्षक गंतव्य बनाना चाहती है ।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपमुख्यमंत्री के साथ कला-संस्कृति विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बाह्मरा भी मौजूद थीं।उन्होंने ने भी बिहार फिल्म प्रोत्साहन नीति को राज्य के आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य के लिए एक सराहनीय पहल बताया ।
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